दशशिशानाथ महादेव (DASHSHISHA NATH MAHADEV BANDU)
Shri Dashshishanath Mahadev Bandu-दशशिशानाथ महादेव, रोहतास जिला के नौहट्टा प्रखंड के बांदू गाँव के समीप सोन नदी में स्थित दशशिशानाथ महादेव त्रेतायुगीन हैं | सेकड़ो वर्ष पूर्व यहाँ राजा महाराजाओं ने शिलालेख भी लिखवाए थे | दशशिशानाथ महादेव मंदिर का जलाभिषेक करने मात्र से ही सभी मनोकामनाए भक्तो की पूर्ण हो जताई हैं | यह सोन-कोयल तथा सरस्वती के संगम स्थल पर स्थित हैं |
दशशिशा नाथ महादेव मंदिर का इतिहास -History of Dashshisha Nath Mahadev Temple
ऐसी मान्यता हैं की महिष्मति के राजा सहस्त्रबाहु अपनी रानिओं के साथ सोन नदी में स्नान करने पहुचे थे | जिससे सोन का जलप्रवाह अवरुद्ध हो गया | उसी समय रावन ने भी भगवान शिव की आराधना के लिए इसी स्थल पर पंहुचा | जब भगवान शिव को जलाभिषेक के लिए सोन नदी का जल रावन को प्राप्त हुआ तो रावन क्रोधित होकर सहस्त्रबाहु से इसी स्थल पर युद्ध किया |
बिहार राज्य के पर्यटन विभाग के नजरो से ओझल हैं दशशिशा नाथ महादेव स्थान
स्थानीय प्रखंड अंतर्गत बांदू गाँव स्थित सोन नदी के मध्य धारा में उतर कोयल नदी के संगम पर बाबा दशशिशा नाथ महादेव स्थान राज्य के पर्यटन विभाग की नजरो से ओझल हैं |
सोन नदी मध्य धारा में अवस्थित बाबा दशशिशा नाथ महादेव शिवलिंग-Shri Dashshishanath Mahadev Bandu
हजारो वर्ष से अधिक समय से इस स्थान पर पूजा पाठ किये जा रहे हैं | इस स्थान पर महाशिवरात्रि को मेला भी लगता हैं | बिहार झारखण्ड के लोग भारी संख्या में जुटते हैं फिर भी यह दशशिशा नाथ महादेव का स्थान जिला प्रशाशन व पर्यटन विभाग की नजरो से ओझल हैं | यदि जिला प्रशाशन या पर्यटन विभाग का नजर दशशिशा नाथ महादेव स्थान पर पड़े तो यह स्थान आज देखने योग्य हो जायेगा | बाबा दशशिशा नाथ महादेव स्थान के पास अनके अवसरों पर अखंड कीर्तन का कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं |
यहाँ कुल 16 है शिलालेख-Shri Dashshishanath Mahadev Bandu
सोन नदी में स्थित चबूतरे के बगल में चट्टानों पर प्राचीन कल के राजाओ के नाम अंकित हैं | जिन्होंने इस स्थान का दर्शन पूजन किये हैं | इस स्थान पर कुल 16 शिलालेख हैं जो विभिन्न राजाओं द्वारा पाने शासन काल में लिखवाए गए हैं | इसमें एक शिलालेख खायरवाल वंश की हैं | जिसमे 12वि सदी से लेकर 16वि सदी तक की वंशावली अंकित हैं | महाराज उदय धवल प्रताप धवल देव विक्रम धवल देव शाहस धवल व् अन्य राजाओं ने दशशिशा नाथ महादेव शिवलिंग की पूजा अर्चना की थी | फ्रांसिस बुकानन ने यात्रा वृतांत इस शिवलिंग को द्वारिश्वर महादेव नाम दिया था | मान्यता हैं की इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण होती हैं |
रावण द्वारा शिवलिंग स्थापित किये जाने से इनका नाम दशशिशा नाथ महादेव पड़ा-Shri Dashshishanath Mahadev Bandu
डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन से 55 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं | यह आस्था का सोन नदी के बिच धारा में कोयल सोन व सरस्वती नदी के संगम पर स्थापित बाबा दशशिशा नाथ महादेव का स्थान हैं | तिन नदियों के संगम पर होने के कारण इस स्थान की सुन्दरता मनोरम दृश्य देखने लायक हैं | दशशिशा नाथ महादेव शिवलिंग की पूजा त्रेता युग में रावण ने की थी | ऐसा शास्त्रों में प्रमाण मिलता हैं | नौहट्टा प्रखंड के बांदू गाँव से करीब आधा किलोमीटर दक्षिण में सोन नदी के मध्य धारा में विशाल शिलाखंड पर बने चबूतरे पर शिवलिंग विराजमान हैं | स्थानीय बुजुर्गो ने बताया की रावण द्वारा स्थापित किये जाने की वजह से इनका नाम दशशिशा नाथ महादेव पड़ा |
सोन नदी के बिच धारा में स्थापित हैं दशशिशा नाथ महादेव का स्थान-Shri Dashshishanath Mahadev Bandu
पुराणों में कहा गया है की रावण जब कैलाश पर्वत से भगवान शिव को लंका में स्थापित करने ले जा रहा था | तभी उसे लघुशंका लगी और वह शिवलिंग को इसी स्थान पर रख दिया | बाद में जब शिवलिंग को उठाने का प्रयास लंका पति रावण ने किया | लेकिन भगवान शिव का लिंग स्थापित हो गया | कैलाश पर्वत और स्थापित बांदू गाँव के शिवलिंग को मानचित्र पर भी देखा जाये तो उसके रास्ते में स्पष्ट नजर आता है |
दशशिशा नाथ महादेव मंदिर की विशेषताए-Dashshisha Nath Mahadev Temple
प्राचीन कल में कई राजाओं ने इस महादेव स्थान पर अपने-अपने शिलालेख लिखवाए हैं | खरवाल राजा प्रताप धवल देव की पूरी वंशावली यहाँ अंकित हैं | जिन जिन राजाओं ने अलग-अलग कल खंड में यहाँ आकार पूजा अर्चन की हैं , उन लोगो ने अपने अपने नाम अंकित करवाए हैं | जिससे दशशिशा नाथ महदेव की प्राचीनता का पता चलता हैं |
हरिचन्द्र और रावण के स्थापित शिवलिंग की होती है पूजा -Shri Dashshishanath Mahadev Bandu
सवान का महिना प्रारंभ हो गया हैं | इस महीने में देवघर, उज्जैन, वाराणसी आदि द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए जाते हैं | भगवान भोले नाथ के पूजा अर्चना करते हैं | यदि आप भी जंगल का आनंद लेना चाहते हैं | भगवान भोलेनाथ की शांति से पूजा करना चाहते हैं तो आइये नौहट्टा |
Shri Dashshishanath Mahadev Bandu
यहाँ की हसीन वादियों तथा उसके बिच जंगल में स्थित महादेव आपके इक्षा पूर्ण करने के लिए तैयार हैं | यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित महादेव खोह , सावन स्रोत , भूखी खोह , दशशिशा नाथ महादेव , रोहितेश्वर धाम आदि दर्जन भर पूजनीय स्थल हैं | भले भी सरकार की नजर से ओझल हैं ये पर्यटक स्थल लेकिन यहाँ के जंगल में सैकड़ो राष्ट्रीय पक्षी मोर सावन के इस महीने में कलरव करते प्राकृतिक सुषमा में चार चाँद लगा रहे हैं | विश्वामित्र के इस तपोभूमि में महादेव की पूजा-अर्चना करने से सारी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती हैं |
भूखी खोह-Bhukhi Khoh
नौहट्टा प्रखंड के भूखी खोह (अग्नि खोह ) चारो तरफ पहाड़ व् घने जंगल से घिरा हैं | जलप्रपात का पानी सदेव बहते रहता हैं | भूखी खोह के पानी का टीडीएस तिस के आसपास हैं | यहाँ काली माता मंदिर हैं जिसके कारण काली खोह आगनैया ढाबा के नाम से लोग जानते हैं |
महादेव खोह-Mahadev Khoh
महादेव खोह तिन तरफ से दो हजार फीट पहाड़ से घिरा हुआ हैं | चौथी ओर से करीब देख किलोमीटर घने जंगल से घिरा हुआ हैं जो पैदल जाना पड़ता हैं | जंगल में बहुतायत संख्या में मोर और बन्दर हैं | जंगली फूलो व् औषधीय पेड़ पौधों की खुशबु चारो ओर विखरता हैं | जलप्रपात के पास प्राचीन शिव मंदिर हैं | जलप्रपात का पानी का टीडीएस बीस के आसपास हैं | पानी पीते ही 10 मिनट के अन्दर भोजन पच जाता हैं |
पूछे जाने वाले प्रश्न
दशशिशा नाथ महादेव मंदिर कहाँ हैं ? Where is Dashshisha Nath Mahadev Temple?
दशशिशा नाथ महादेव मंदिर बांदू हैं जो बिहार राज्य के रोहतास जिला के नौहट्टा प्रखंड में पड़ता हैं |
दशशिशा नाथ महादेव नाम क्यों पड़ा ? Why was it named Dashshisha Nath Mahadev?
रावण के द्वारा पूजा करने के कारन इनका नाम दशशिशा नाम महादेव पड़ा |
दशशिशा नाथ महादेव कैसे पहुचे ? How did Dashshisha Nath Mahadev reach?
दशशिशा नाथ महादेव का दर्शन करने के लिए अगर आप आना चाहते हैं तो सबसे पहले आप दुनिया की किसी जगह से आ रहे हैं तो सबसे पहले आपको डेहरी ओन सोन रेलवे स्टेशन या डेहरी बस स्टैंड आनी होगी जहाँ से आप बस कार के द्वारा बांदू पहुच सकते हैं बाबा दशशिशा नाथ महादेव का दर्शन करने |
दशशिशा नाथ महादेव बांदू में मेला कब लगता हैं ? When is the fair held in Dashshisha Nath Mahadev Bandu?
दशशिशा नाथ महादेव बांदू मेला शिवरात्रि को लगता हैं जो दो दिन चलता हैं |